धूप का सुनहरा प्रकाश जंगलों पर चमक रहा था। खूबसूरत पेड़ों के बीच, हमारे नायक, कोआला कुट्टी, की उत्साहित आँखे चमक रही थीं। वह अपने दोस्त, चालाक बंदर मोनू के साथ वॉकी टॉकी पर बात कर रहा था। कुट्टी! आज बड़ा ही खास दिन है, जंगल मेले का दिन! मोनू ने कहा।
हाँ, मोनू! मैं बहुत उत्साहित हूँ, कुट्टी ने जवाब दिया। आज जंगल मेले में पहली बार गर्म हवा का गुब्बारा उड़ने वाला था।
जल्दी आओ, कुट्टी! गुब्बारा उड़ने वाला है! मोनू ने आवाज़ लगाई।
कोआला कुट्टी तेज़ी से भागता हुआ गुब्बारे वाली जगह पर पहुँचा। गुब्बारा देख कर उसकी मुस्कान उसकी मेहनती आँखों तक फैल गई। वहाँ रंग-बिरंगे फूलों से सजा गुब्बारा खड़ा था, और जॉन, जंगल का जोकर, मुस्कुराता हुआ खड़ा था।
स्वागत है, मेरे प्रिय दोस्त, जॉन ने कहा। गुब्बारे की सवारी के लिए तैयार हो?
हाँ, जॉन! मैं हमेशा से आकाश में उड़ना चाहता था, कुट्टी ने जोश से भरा उत्तर दिया।
जॉन ने कुट्टी को गुब्बारे के टोकरी में हाथ से उठाकर बिठाया, और गुब्बारा आकाश में धीरे-धीरे उड़ने लगा। नीचे पूरा जंगल छोटे-छोटे खिलौने जैसे दिखने लगे। कुट्टी और जॉन ने जंगल की हरियाली का मज़ा लिया। अचानक, कुट्टी की वॉकी टॉकी से आवाज़ आई, कुट्टी, संकट है! मोनू की घबराई आवाज़ थी।
क्या हुआ, मोनू? कुट्टी ने पूछा।
चालाक गिरगिट काली उन्हीं तारों को खींचने की साजिश कर रहा है, जिससे गुब्बारा ऊपर उठता है, मोनू ने जल्दी से बताया।
जॉन ने भी यह सुना और चिन्ता में आ गया। हमें जल्दी नीचे उतरना होगा!
नहीं, जॉन! हमें समस्या का समाधान करना होगा, कुट्टी ने साहस से कहा। मैं मोनू के साथ बात करूँगा वॉकी टॉकी पर।
कुट्टी ने मोनू को जानकारी दी, और मोनू तेजी से गिरगिट काली की ओर भागा। तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, काली? मोनू ने हिम्मत के साथ पूछा।
क्योंकि मैं चाहता हूँ कि इस मेले में सबकी नज़र केवल मुझ पर हो! काली ने कारण बताया।
पर सच्ची खुशी तो सबके साथ साझा करना होता है, मोनू ने कहा। हम सब मिलकर बहुत मजा कर सकते हैं।
गिरगिट काली को यह बात समझ में आई और वह तार छोड़ दिया। गुब्बारा सुरक्षित था। कुट्टी और जॉन ने राहत की सांस ली।
धन्यवाद, मोनू, तुम्हारे बिना हम मुश्किल में फँस सकते थे, कुट्टी ने कहा।
कुछ नहीं, दोस्त। हम सब एक-दूसरे की मदद के लिए हैं, मोनू ने मुस्कुराते हुए कहा।
नीचे लौटकर, कुट्टी और जॉन ने देखा कि जंगल के सभी जानवर मस्ती कर रहे थे। जॉन ने मस्ती भरे जोकर के करतब दिखाए, और सब हँसते-खिलखिलाते रहे।
आज का दिन सच में यादगार रहेगा, कुट्टी ने सोचा और आकाश की ओर देखा, जहाँ गुब्बारा अब भी शांतिपूर्ण उड़ान भर रहा था।
हाँ, कुट्टी, यह यादगार रहेगा, जॉन ने कहा। और हर किसी ने मिलकर समस्या से निपटा, यही असली दोस्ती है।
मोनू, काली, सबका धन्यवाद! कुट्टी ने खुश होकर कहा। आज हमने सिखा कि मिल-जुलकर किसी भी समस्या का समाधान हो सकता है।
और इस तरह, जंगल मेला ख़ुशी और प्रेम के माहौल में समाप्त हुआ, और ऊपर उड़ता हुआ गुब्बारा हमेशा के लिए एक साहसिक और दोस्ती की याद बन गया।